My Humming Word

Inspiration

  1. Poem
दूसरों को करने से पहले, ख़ुद अपने को नमन करो।उजड़े हिये को कर आबाद, ईश्वर का भजन करो।। कंकालों की लीक पूज कर, आत्मा का दमन न करो।यश नाम की चिंता से बच कर उससे बहिर्गमन करो।। गुलामी के स्वर्ण मुकुट से अच्छा है प्यार कफन करो।संघर्ष करने का साहस नहीं, तो खुद को दफ़न […]
  1. Poem
मुझे तो है लगती, आपकी नाद बक़ा,सिने बूढ़े फ़नकारों की तो है एक फ़ना,मेरे लिए आपको कोई कॉपी करना,है वाकई एक काम चबाना लोहे चना। लेकिन, श्रीमन, यह है आदत एक बुरी,कि आप हर बात करते हैं मना मेरी,मुझे सिर्फ़ इतना बताओ कृपया, श्रीमन,कॉपी कोशिश करने में भी है कितने जन? जबकि आपकी आवाज़ में […]
  1. Poem
 तुम चलो तो चलो तो तुम बिलकुल अकेले आधुनिक सभ्यता के पाठ से सीखी चतुर विद्या को छोड़कर निपट अकेले रिक्त-रिक्त से पूर्वाग्रहों को त्यागकर अपने सदृश्य जीव की संगना से दूर हट एकदम अकेले मृत मंजिलों-इमारतों में सड़ रहीं वर्जनाओं के बाहर तुम चलो तो.  एक निस्सीम आकाश है  नीलाभ, पारदर्शी  कल्पना के आखिरी छोर तक अबूझ  रहस्यमयी  जिज्ञासा को कुदेरता अनंत से […]
  1. Poem
Editor’s Choice मत सियो तुम ओंठ अपने मौन को संवाद दे दो,सुन रहा हूँ गीत कोई आज ऐसा तुम सुना दो। है समय का यह तकाजा भूल जाओ आज हम को।पर कहाँ का न्याय है अपराध से बढ़कर सजा दो।फिर न कहना यह मेरे दिल की कभी ख्वाहिश न थी-गर जहर देना मुझे है तो […]
  1. Poem
चलो ‘युधिष्ठिर’ जीत गये तुम अब नवीन कुछ काम करोपराजितों को गले लगाकर उनका भी सम्मान करो ‘प्रसाद’ के साथ मिलकर तुम नए युग की शुरुआत करो ‘आभा’ और ‘अभिषेक’ सुनो अब तुम्हारी ये जिम्मेदारी है बड़े-बुजुर्गों का मान बढ़ाओ क्योंकि सोच तुम्हारी प्यारी है दोनों ‘शर्मा बन्धु’ मिलकरअब बिन शर्माये काम करो बनी रहे ये युगल जोड़ी ऐसा कुछ व्यवहार करो ‘महेंद्र’, तुम बन गए खजांची कॉलोनी […]
  1. Poem
दर्द संजोये रखना दिल में अधरों से कुछ मत कहना।हँस-हँस कर कितना कोई पूँछे सीने में भींचे रहना।कहने से हासिल क्या होगा इठलायेंगे सभी मगर-बांट न लेगा लेशमात्र कोई खुद को ही सब है सहना। रखना सदा छुपाए इसको अपनी पलकों के अंदर।चारों ओर हो तिमिर घनेेरा बिछे हुए कांटे पथ पर।घोर उदासी के बादल […]
  1. Poem
सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]

Good Reads

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]
दरिया बीच एक दिन, सहसा उठा चक्रवात।जो थे मझधार मौजों पे, उन्हें न लगा आघात।।जो खड़े साहिल पे थे, डूबे मस्ती में दिन रात।पल में प्रलय होने लगा, डूबने लगे हाथो हाथ।। जो चल रहे थे वो बच गए, कुशल रास्ता खोकर।जो खड़े थे वो फना हो गए, खड़े ही खाकर ठोकर ।।जो मझधार में […]
Over a month-long turmoil in Bangladesh allegedly led by the students on the issue of reservation in jobs for certain categories reached to an anticlimax when Prime Minister Sheikh Hasina was made to resign and leave country on a short notice. While television visuals showed large crowds on the roads in Bangladesh capital Dhaka and […]

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सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]

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Pilgrimage-I Nearly all communities and religions in the world attach significance to places which have some connection with any worldly or supernatural act(s) or event(s) of the divine (God) or His messenger(s); the birth, enlightenment or death of founder and saints; sites of the spiritual calling or awakening; supposedly a dwelling or living place of […]
सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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