My Humming Word

Attribute

  1. Poem
सूर्यास्त का समय, सुनसान समुद्र तटजैसे बाल सुलभ जिज्ञासा से वह देखता रहादेशी ने झुककर गीली रेत से कुछ उठायाऔर फिर दूर उसे पानी में बहा दियादेशी को यही कारनामा बार-बार दोहराते देखउसका आश्चर्य और उत्सुकता स्वाभाविक थी। कुछ हैरानी वश ही उसने देशी` से पूछामुझे आश्चर्य है आखिर तुम कर क्या रहे हो?देशी का […]
  1. Poem
Duo, the Invisible and nature indeedOn the evolutionary ladder in cosmosSet human beings to stand on pinnacleWith erect posture and advanced brain. In turn, the human beings destroy lifePollute damaging earth, oceans & skiesLeading to serious climatic imbalancesYet they have audacity to call themselves as Superior beings! Note: “Invisible” refers to Supreme divine force behind […]
  1. Poem
एक अति प्रतिक्रियावादी रहता हैप्राय: भ्रमित, क्षुभित और क्रोधित अपने परिवेश में अपने प्रतिवेश में…उसकी नकारात्मकता, और फिर फलस्वरूप अत्यधिक आक्रामकताबदल देती है उसे एक विवेकशून्यस्वार्थी, घमंडी और परपीड़क इंसान रूपी ढोर में। फिर समय के साथ यह इंसानखो देता है खुद की पहचान –गरिमा, साख, विश्वसनीयताऔर स्वीकार्यता, या फिर यूँ कहें –प्रेम एवं सानिध्य अपने समाज मेंरह […]
  1. Poem
अपने संस्कारों व अर्जित ज्ञान के बल पर,देश व समाज में खुद का स्थान ही नहीं,अपितु उसने जीवन में कौशल भी सीखा;अपने प्रियजनों, रिश्तों और संबंधों को,जीवन भर के लिए, एक ईमानदारी सेसंभालना, सहेजना और पोषित करना।  परन्तु वह आजतक नहीं समझ पाया,उनको, जो एक गिरगिट की तरह अक्सर,खुद की सुविधा और माहौल के अनुसार,जल्दी-जल्दी […]
  1. Poem
बार बार इसके जिक्र से नाराज़ होती है खुद फ़ज़ा ।जो हो जाए चुपके चुपके उसके जैसा कहां मज़ा।। राम नाम का मचाया शोर, सांसों को कभी न भजा।पाखंडी के वो पल्ले पड़ी, राम रट पूरा कर रही जजा।। ज्यादा बकती जीभ को, घिसने की हैं मिली सज़ा।देख मन यही कहता, तूं कर कुछ पर […]

Good Reads

Editor’s Choice उन जटिल परिस्थितियों में कष्ट के बावजूदजब मैंने अपनी वेदना प्रकट नहीं होने दीतो इसका आशय यह कैसे निकलता हैकि मुझे दर्द का अहसास ही नहीं हुआ! जब तुम हमेशा के लिए जा रहे थेऔर मैंने अपने आँसू नहीं दिखाए थेतो इसका आशय यह कैसे निकलता हैकि तुम्हें खोकर मुझे रोना नहीं आया […]
Editor’s Choice यह मात्र एक और हृदयग्राही धुन नहीं हैअपितु मेरे दिल और आत्मा की पुकार हैएक शाश्वत, निर्दोष और निर्मल प्रेम की। यह बस एक और वेदनापूर्ण क्रंदन नहीं हैबल्कि मेरी वास्तविक व्यथा का फ़साना हैजो फ़क़त आपकी विरक्ति से गहराया है। शायद आज इस खालीपन की अनुभूति न होपर किसी दिन आपको अहसास […]
हर एक गोधूलि की शुरुआत,शरीर के साथ मेरा मन भीथका और बोझिल सा हो जाता हैफिर हताश मन तरसता रहता हैआपकी मधुर वाणी और निकाय के स्नेहिल और स्निग्ध स्पर्श सुखका एहसास एक बार फिर सेजीवन में पाने और जीने के लिए… मानो गहराती हुई रात कीनीरवता एवं स्तब्धता के बीचभयावह अग्नि की ज्वाला उठी […]
The Makar Sankranti this yearIs more pious and singular event.One of the famous Hindu festivalsDedicated to the solar deity, Surya…Based on the planetary movementsIt’s an instance of transition of SunFrom zodiac Sagittarius to CapricornFrom the south to north hemisphereMarking onset of change in season.The occasion is widely celebratedBy various names in different partsAs new dawn […]
A bit tiny yet marvellousShimmering white paniclesOf the Rajnigandha blooms…Their candidly sweet fragranceReminds few golden momentsThen my heart over againTurns distraught and restlessYearning those bygone days… During a span of timeLife was so fragrant withThe divine Rajnigandha touchSome sweet Rajnigandha feelingsAnd adorable Rajnigandha momentsInstead more apt to say…Rajnigandha memories and dreams. Like the fireflies glow […]

Worlwide

Editor’s Choice उन जटिल परिस्थितियों में कष्ट के बावजूदजब मैंने अपनी वेदना प्रकट नहीं होने दीतो इसका आशय यह कैसे निकलता हैकि मुझे दर्द का अहसास ही नहीं हुआ! जब तुम हमेशा के लिए जा रहे थेऔर मैंने अपने आँसू नहीं दिखाए थेतो इसका आशय यह कैसे निकलता हैकि तुम्हें खोकर मुझे रोना नहीं आया […]
Editor’s Choice यह मात्र एक और हृदयग्राही धुन नहीं हैअपितु मेरे दिल और आत्मा की पुकार हैएक शाश्वत, निर्दोष और निर्मल प्रेम की। यह बस एक और वेदनापूर्ण क्रंदन नहीं हैबल्कि मेरी वास्तविक व्यथा का फ़साना हैजो फ़क़त आपकी विरक्ति से गहराया है। शायद आज इस खालीपन की अनुभूति न होपर किसी दिन आपको अहसास […]
हर एक गोधूलि की शुरुआत,शरीर के साथ मेरा मन भीथका और बोझिल सा हो जाता हैफिर हताश मन तरसता रहता हैआपकी मधुर वाणी और निकाय के स्नेहिल और स्निग्ध स्पर्श सुखका एहसास एक बार फिर सेजीवन में पाने और जीने के लिए… मानो गहराती हुई रात कीनीरवता एवं स्तब्धता के बीचभयावह अग्नि की ज्वाला उठी […]

Trending

प्रतिवर्ष दशानन दहन किया, मन के रावण का नाश नहीं,अगनित सीता अपहृत होती, निज मर्यादा का भास नहीं।हम एक जलाते दशकंधर, शत दशकंधर पैदा होते,करते जो दहन मन का रावण, हर गली में रावण न होते। इस शक्ति पर्व का हेतु है क्या, है ब्यर्थ दिखावे की शक्ती,निर्बल को संबल दे न सके, अन्याय से […]

Login

You cannot copy content of this page