कुछ अपने थे जो छोड़ गये
कुछ अपने जो जाने वाले हैं
हम किस-किस की खैर करें
खुद हम भी उसी कतार में हैं
जो कल आए थे आज चले
जो अब आए हैं कल जाएंगे
फिर कुछ ऐसे अपने भी तो हैं
जो असमय-कुसमय छोड़ चले
जब यह हालत इस जग की है
और जब जीवन इतना नश्वर है
हम क्योंकर इतनी चाह रखें
हम क्योंकर हर्ष-विषाद रखें
फिर क्यों इस जग की रीत यही
फिर क्यों सब पाने की होड़ लगी
जब साथ न कुछ लेकर आए थे
और साथ न कुछ ले जा पाएंगे
इस जीवन का सच बस इतना है
हम सब रंगमंच की कठपुतली हैं
जिसने जीवन का ये सच जान जिया
समझो, वह जीते जीवन-मुक्त हुआ।
This poem about the truth of mortal life instantly flashed in mind after hearing early morning news of an untimely death of a dear and much younger kin whom I visited in hospital only yesterday. Swan in Hinduism symbolizes spiritual perfection and liberation (Moksha).
Image Source: Wikipedia
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