Editor’s Pick
यह मात्र एक और हृदयग्राही धुन नहीं है
अपितु मेरे दिल और आत्मा की पुकार है
एक शाश्वत, निर्दोष और निर्मल प्रेम की।
यह बस एक और वेदनापूर्ण क्रंदन नहीं है
बल्कि मेरी वास्तविक व्यथा का फ़साना है
जो फ़क़त आपकी विरक्ति से गहराया है।
शायद आज इस खालीपन की अनुभूति न हो
पर किसी दिन आपको अहसास जरूर होगा
और फिर मुमकिन है मेरी राह लौटना भी हो।
किन्तु संभवतः तब तक बहुत देर हो चुकी हो
जहाँ किसी समय प्यार का सागर लहराता था
बंजर मरुभूमि के टीलों सिवा कुछ न बचा हो।
18,838 total views, 9 views today
No Comments
Leave a comment Cancel