Editor’s Choice
हाँ अब वह जीवन-मुक्त है
जीवन में ठुकराए गए का कोई अवसाद नहीं
उन असफलताओं पर अब कोई पश्चाताप नहीं
जीवन की खास सफलताओं या उपलब्धियों पर
भी कोई अभिमान, आनन्द अथवा उल्लास नहीं
हाँ अब वह जीवन-मुक्त है
सांसारिक उपलब्धियों अथवा प्राप्ति हेतु
अब वह कोई इच्छा या सपना नहीं पालता
न तो है उसे भीड़ में अलग पहचान की चाह
न ही किसी जन से प्रतिद्वन्द्विता अथवा डाह
हाँ अब वह जीवन-मुक्त है
क्रोध उसे पागल अथवा असुरक्षित नहीं बनाता
वासनाएं अब तो दूर-दूर तक छू भी नहीं पातीं
ताकत, प्रसिद्धि और पैसों की अब चाह नहीं है
फिर तो अहंकार की भी उससे कोई राह नहीं है
पर उसे आज भी बहुत प्यार है
अपनी जन्मभूमि से जिसने उसे पाला – बड़ा किया
अपनी मातृभाषा जिसने बोलना – लिखना सिखाया
वह सारे लोग जो कभी जीवन में मायने रखते थे
और फिर वह राष्ट्र जिस पर जान भी न्यौछावर है।
Image (c) Jaipal Singh
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