My Humming Word

Poem

  1. Poem
मेरे देश और हृदय वासियों को हो नव वर्ष मुबारक,आप ही में मानता हूं, बैठा हैं मेरा जीवन उद्धारक। जीवन किताब में पूर्ण हुआ, अध्याय दो हजार तेईस,रहा हमदम हमारा हर दम, दी अपार अपूर्व बक्शीस। हो आभार ढलते को, उगते का स्वागत झुका के शीश,आप महात्माओं को परम् सुखद हो दो हजार चौबीस। रोम […]
  1. Poem
Editor’s Choice I am in stupor gazing into the aeons‘New Year Day‘ comes once in a yearCarrying renewed hopes & aspirationsFor the better and a healthier tomorrow… Across the globe, most people indulge intoCelebrations in a joyful and exuberant wayTaking fresh commitments and resolutions:The planet is standstill for one whole day! Did anything really ever […]
  1. Poem
दूसरों को करने से पहले, ख़ुद अपने को नमन करो।उजड़े हिये को कर आबाद, ईश्वर का भजन करो।। कंकालों की लीक पूज कर, आत्मा का दमन न करो।यश नाम की चिंता से बच कर उससे बहिर्गमन करो।। गुलामी के स्वर्ण मुकुट से अच्छा है प्यार कफन करो।संघर्ष करने का साहस नहीं, तो खुद को दफ़न […]

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Pilgrimage-I Nearly all communities and religions in the world attach significance to places which have some connection with any worldly or supernatural act(s) or event(s) of the divine (God) or His messenger(s); the birth, enlightenment or death of founder and saints; sites of the spiritual calling or awakening; supposedly a dwelling or living place of […]
सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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