घर के बाहर लान की
हरी-भरी मखमली घास पर
चमकीली गुनगुनी धूप में
पसंदीदा आरामकुर्सी पर
दोनों आँखें बंद, चंचल मन
किसी की मधुर यादों में खोया
वह चिंतन में तल्लीन है…
शिशिर ऋतु के मौसम में
साल के इस सबसे ठंडे दिन
जीवन के इस पड़ाव पर
काश इस नर्म गुनगुनी धूप से
इतर ये दिन और ज्यादा
सुखद, सेहतमंद एवं सुंदर
ललित और मनभावन होते..!
इस चिंतन-स्पंदन के बीच
बस एक ही ख्याल आता है
बस एक ही जवाब मिलता है
निज निकटता की गरमाहट
चिर-परिचित परी सी सुंदरता
और दिव्य मुस्कान के साथ
काश वह भी आस पास होती।
9,940 total views, 6 views today
No Comments
Leave a comment Cancel