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उन जटिल परिस्थितियों में कष्ट के बावजूद
जब मैंने अपनी वेदना प्रकट नहीं होने दी
तो इसका आशय यह कैसे निकलता है
कि मुझे दर्द का अहसास ही नहीं हुआ!
जब तुम हमेशा के लिए जा रहे थे
और मैंने अपने आँसू नहीं दिखाए थे
तो इसका आशय यह कैसे निकलता है
कि तुम्हें खोकर मुझे रोना नहीं आया था!
अनपेक्षित उपेक्षा और निष्ठुरता के दौर में
मैंने अपनी बेचैनी और व्याकुलता नहीं दिखाई
तो इसका आशय यह कहाँ निकलता है
कि मेरा दिल आहत और उदास नहीं था!
और जब मैंने संयम और शांति के साथ
अरसे तक मर्यादा और मुद्रा बरकरार रखी
तो इसका आशय यह कहाँ निकलता है
मुझे प्यार और आपकी परवाह नहीं थी!
अंदर ही अंदर अनवरत टूटते-बिखरते हुए
तृष्णा और तड़प के दीर्घकालिक अंतराल ने
टनों लावा और मैग्मा से युक्त एक सुप्त,
विनाशक ज्वालामुखी निर्मित कर दिया है…
अब जीवन में एकमात्र कामना और यत्न है –
ज्वाला व ताप कभी आप तक न पहुँचने पाए.
Image Courtesy: Pinterest
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