वह रिश्ता त्याग देना बेहतर है
जहाँ प्यार का अहसास न हो
फिर यह चाहे आपकी बात हो
या जिससे आपको अपेक्षा हो
वह रिश्ता त्याग देना बेहतर है
आपसी सुख-दुख की बात हो
अथवा अंतरंगता का सवाल हो
जहाँ इनकी अहमियत ही न हो.
वह रिश्ता त्याग देना बेहतर है
जिसमें स्वार्थ का बोलबाला हो
व्यक्ति जो बस आत्मकेंद्रित हो
जहाँ केवल खुद की परवाह हो.
वह रिश्ता त्याग देना बेहतर है
जिसमें बार-बार कड़वाहट हो
उलझनों से सामना अधिक हो
खटास ज्यादा मिठास कम हो.
91 total views, 44 views today
No Comments
Leave a comment Cancel