My Humming Word

Month: March 2024

  1. Article
It was a shocking news nationally and internationally to hear that the serving Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal was arrested by the Enforcement Directorate (ED) officials on 21 March 2024. This unfortunate event appears to be preordained that he had received as many as nine summons for questioning from the ED during last several months […]
  1. Poem
हार्दिक होली मुबारक, हो आप सबको।मैं सबके आनंद की, अर्ज करूं रब को।। अमृत पान नसीब हो, हर जुबां लब को।सजाए चांद सितारे, आपकी हर शब को।। देख सकें हर सबब में, भी बेसबब को।श्रृष्टि हित में छोड़ें, अपने मतलब को।। आपकी हर ख्वाइश को, मैं रखूंगा रब को।बता सकते हो, जब फुरसत हो आपको।। […]
  1. Poem
Editor’s Choice When cheerful folks exclaim ‘Holi Hai!’It triggers out an upsurge of emotionsA rainbow splash of fascinating coloursSwinging, vacillating and dancing folksBody drenched in wet and dry coloursExchanging & sharing sweets and giftsWittingly cracking laughter and smilesIn an ambience of fun & frolic for hours… Also, the very surroundings have souls –Cool, composed like […]

Good Reads

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]
दरिया बीच एक दिन, सहसा उठा चक्रवात।जो थे मझधार मौजों पे, उन्हें न लगा आघात।।जो खड़े साहिल पे थे, डूबे मस्ती में दिन रात।पल में प्रलय होने लगा, डूबने लगे हाथो हाथ।। जो चल रहे थे वो बच गए, कुशल रास्ता खोकर।जो खड़े थे वो फना हो गए, खड़े ही खाकर ठोकर ।।जो मझधार में […]
Over a month-long turmoil in Bangladesh allegedly led by the students on the issue of reservation in jobs for certain categories reached to an anticlimax when Prime Minister Sheikh Hasina was made to resign and leave country on a short notice. While television visuals showed large crowds on the roads in Bangladesh capital Dhaka and […]

Worlwide

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]

Trending

सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]

Login

You cannot copy content of this page