My Humming Word

  1. Poem

मौन महिमा

बार बार इसके जिक्र से नाराज़ होती है खुद फ़ज़ा ।
जो हो जाए चुपके चुपके उसके जैसा कहां मज़ा।।

राम नाम का मचाया शोर, सांसों को कभी न भजा।
पाखंडी के वो पल्ले पड़ी, राम रट पूरा कर रही जजा।।

ज्यादा बकती जीभ को, घिसने की हैं मिली सज़ा।
देख मन यही कहता, तूं कर कुछ पर मत ढोल बजा।।

ढोल ही तेरी खुशी कर खसोट, बनेगा सबब ए कजा।
सुख सागर के द्वार खुले, जब ‘मैं, मेरा’ का ढोल तज़ा।।

हर घट में हर पल हरि खिले, मिले हर घर शांति अब्जा।
इतनी सी आशीष भेजता हूं जरा हो अगर आपकी रजा।।

फ़ज़ा = बहार, जजा = बदला, कार्य का फल, सबब = कारण, कज़ा = मौत, अब्जा = लक्ष्मी।

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