My Humming Word

  1. Poem

शून्य प्राण

देने के पहले हर विषय पर, बढ़ चढ़ कर सुझाव,
अपने भीतर जा ह्रदय में, बुराईयों की आग बुझाय!

अफीम, बालविवाह, मृत्युभोज, जिया में हर पल लहराय,
ऐसे शून्य घट में भला कौनसी, चेतना जगेगी मुझे समझाय।

बिन त्यागे रोग अफीम, डोडा,  मृत्युभोज और बालविवाह,
तेरा हावभाव और भाषण करता, उजागर सिर्फ  ख्याली पुलाव।

कितने लोगों की भूख मिटाओगे, राजनीति लड्डू खिलाय,
लड्डू मिल गए तो हजम न होंगे, बिना डोडा दारु पिलाय।

वो प्यार मोहब्बत धोखा है, जो जीह्वा से बघारा जाय,
सच्चा प्रेम गूंगा जिगर में बसता, बकता सो, सब व्यवसाय।

जाति पर मर मिटने के वादे कसमें, मैं जिंदाबाद – वो हाय हाय,
जातिवाद के पिंजरे में बंद साधु नेता, बनकर तोता करे टांय टांय।

 30,988 total views,  108 views today

Comments to: शून्य प्राण

Login

You cannot copy content of this page