Editor’s Choice
एक और खूबसूरत शाम ढलने को है
सूरज छितिज़ से नीचे कब का जा चुका है
झिलमिल करते तारे आकाश में आच्छादित हैं
पर हृदय में तुम्हारी वापसी की आशा संजोये
तुम्हारी मात्र एक झलक की चाहत लिए
मन अशांत और व्याकुल है.
शरद ऋतु के आगाज के साथ-साथ
अब मौसम भी करवट बदलने लगा है
हवा में ठंडक और नमी अब ज्यादा है
पेड़-पौधे भी फूल-पत्तियाँ खोने लगे हैं
तुम्हारा एक बार फिर मिलने का वादा
मुझे अब भी इंतजार है.
दिन भर चराई फिर शाम ढलने के बाद
मवेशी अब अपने तबेलों को लौट चले हैं
पंछी भी तो थककर घोंसलों में लौट रहे हैं
पर तुम्हारे अभी शीघ्र वापस आने का
दूर-दूर तक कोई नाम-निशान भी नहीं
मन बहुत अस्थिर व बेचैन है.
मन और शरीर पर एक तन्द्रा छाने को है
मानो अब अंतिम निद्रा भी सन्निकट ही है
जीवन में मात्र एक बार फिर तुमसे मिलन
एक आखिरी रात्रिभोज की आस संजोए
तुम्हारे आगमन की प्रतीक्षा में दहलीज पर
मुझे तुम्हारा अब भी इन्तजार है.
Courtesy Image: Pinterest
16,296 total views, 7 views today
No Comments
Leave a comment Cancel