My Humming Word

Month: October 2022

  1. Article
Pilgrimage-I Nearly all communities and religions in the world attach significance to places which have some connection with any worldly or supernatural act(s) or event(s) of the divine (God) or His messenger(s); the birth, enlightenment or death of founder and saints; sites of the spiritual calling or awakening; supposedly a dwelling or living place of […]
  1. Poem
Editor’s Choice सहयोग परस्पर हो सबका सब को त्योहार मनाने दें।हर आँगन को आलोकित कर सबको उल्लास मनाने दें। इस तरह मनाएं दीप पर्व, अंतर का तम सब मिट जाये।अज्ञान मिटे अर्न्तमन का, जीवन का घन तम हट जाये।मावस की काली रजनी ज्यों, है तिमिर मोह का अभ्यंतर-सबको इस पावन दीप पर्व पर वैदिक यज्ञ […]
  1. Poem
दर्द संजोये रखना दिल में अधरों से कुछ मत कहना।हँस-हँस कर कितना कोई पूँछे सीने में भींचे रहना।कहने से हासिल क्या होगा इठलायेंगे सभी मगर-बांट न लेगा लेशमात्र कोई खुद को ही सब है सहना। रखना सदा छुपाए इसको अपनी पलकों के अंदर।चारों ओर हो तिमिर घनेेरा बिछे हुए कांटे पथ पर।घोर उदासी के बादल […]
  1. Poem
पावस की मधुरिम रातों में, प्रिय याद तुम्हारी आयी है,संस्मरण पुराने जो बिस्मृत, सब संग वो अपने लायी है।वो मधुर घड़ी, संबन्ध नये, मन वीणा की झंकार नवल,दो अनजानों का मधुर मिलन, एकात्म आत्मा का पावन। क्या भूलूॅं और क्या याद करूॅं, हर पृष्ठ अलौकिक है लगता,रातें लगतीं मधुचन्द्र सरिस, मधुमास सरिस हर दिन लगता।काया […]
  1. Poem
भोर होने से प्रथम ही टूटते हैं स्वप्न सारे।खो रहे हैं नील नभ में शब्द जैसे रात्रि तारे।पोंछ कर दृग बिंदुओं को सच को सीने में छुपाये-पतित को पावन बनाने में पराजित अश्रु खारे। अनछुई इस देह ने स्पर्श के जो जख्म खाये।तन बदन की वेदना को उर पिटारी में संजोये।देखती कातर नयन से जो […]
  1. Poem
प्रतिवर्ष दशानन दहन किया, मन के रावण का नाश नहीं,अगनित सीता अपहृत होती, निज मर्यादा का भास नहीं।हम एक जलाते दशकंधर, शत दशकंधर पैदा होते,करते जो दहन मन का रावण, हर गली में रावण न होते। इस शक्ति पर्व का हेतु है क्या, है ब्यर्थ दिखावे की शक्ती,निर्बल को संबल दे न सके, अन्याय से […]

Good Reads

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]
दरिया बीच एक दिन, सहसा उठा चक्रवात।जो थे मझधार मौजों पे, उन्हें न लगा आघात।।जो खड़े साहिल पे थे, डूबे मस्ती में दिन रात।पल में प्रलय होने लगा, डूबने लगे हाथो हाथ।। जो चल रहे थे वो बच गए, कुशल रास्ता खोकर।जो खड़े थे वो फना हो गए, खड़े ही खाकर ठोकर ।।जो मझधार में […]
Over a month-long turmoil in Bangladesh allegedly led by the students on the issue of reservation in jobs for certain categories reached to an anticlimax when Prime Minister Sheikh Hasina was made to resign and leave country on a short notice. While television visuals showed large crowds on the roads in Bangladesh capital Dhaka and […]

Worlwide

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]

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