My Humming Word

  1. Poem
उठो मित्र अब मोबाइल उठा लो,फिर थोड़ा तुम आनन्दित हो लो। बीत गई रात, अब यह नई सुबह है,पर हमको इस सबसे क्या लेना-देना। झट फेसबुक और व्हाट्सऐप खोलो,व जीवन का यह चरम सुख ले लो। ढेरों तो अग्रसारित संदेश हैं लम्बित,रोचक मीम्स और चलचित्र जमा हैं। भूल जाओ कि चिड़ियाँ चहकीं, अथवाफिर कमल खिले, […]
  1. Poem
अराजकता मात्र एक राजनैतिक दर्शन ही नहींबल्कि एक बिगड़ी सामाजिक संस्कृति भी हैजिससे उन्मादित-ग्रसित एक अराजक इंसान हठधर्मी के साथ हावी होने में रहता है संलग्न। यह आदमी अपने विद्रोही व्यक्तित्व के कारणकरता फिरता है हरकतें बचकानी और विलक्षण व्यक्तिपरक, बगावती, छिद्रान्वेषी व अहंकारी तेवरफिर परस्पर अतिछादी तर्क व जुनून जैसे अवगुण। यह आदमी अकसर रहता है आत्ममुग्ध, […]
  1. Poem
एक अति प्रतिक्रियावादी रहता हैप्राय: भ्रमित, क्षुभित और क्रोधित अपने परिवेश में अपने प्रतिवेश में…उसकी नकारात्मकता, और फिर फलस्वरूप अत्यधिक आक्रामकताबदल देती है उसे एक विवेकशून्यस्वार्थी, घमंडी और परपीड़क इंसान रूपी ढोर में। फिर समय के साथ यह इंसानखो देता है खुद की पहचान –गरिमा, साख, विश्वसनीयताऔर स्वीकार्यता, या फिर यूँ कहें –प्रेम एवं सानिध्य अपने समाज मेंरह […]
  1. Poem
Editor’s Choice Though it’s more of a political philosophyBut the anarchism, as a matter-of-factly,Is corelated in all socio-political situationEngaging excessive control and coercion. In an individual with a rebellious personaDriven by his antics of freedom, rebellion,Individuality, criticism, pride, justice, et al;Reason and passion overlap each other. Person is narcissistic, reckless, incorrigibleSwindling, impenitent, callous, liar & […]

Good Reads

बाग में हजारों गुलाब खिले दिखाई देते हैंसफ़ेद, स्कारलेट, क्रिमसन और वर्मिलियनदेखने और गुजरने वालों की आँखों कोमानों सब कैंडीफ्लॉस ऑफर करते हैं। और फिर उसी बाग के एक कोने मेंएक अकेला पीला गुलाब भी खिलता हैअपनी बेहतरीन खुशबू बिखेरता हुआजैसे अनंत दोस्ती, प्यार और परवाह की। लाल गुलाब आकर्षित करते हैं भटकाते हैंदर्शकों की […]
Editor’s Pick जीवन की सबसे दुखद घटना थीअपने प्यार और दोस्ती को खो देनालेकिन जैसे जैसे समय बीतता गयाप्यार एक अमूर्त बनकर रह गयामैंने दोस्ती को भी फीका पड़ते देखाअब मैने अपने अंदर ही एक दोस्त पायामेरा अपना एकांत! सच है, मुझे अकेले रहना पसंद हैक्योंकि मुझे कभी ऐसा साथी नहीं मिलाजो मेरा इतना साथ […]
जब भी मैं खोलता हूँपुरानी यादों की किताब,प्रस्तावना में लिखा होता हैउस एक दिन, उसके बाद भीजीवन के एक दौर मेंमैंने आपके दिल और दिमागको गहरी चोट पहुँचाईआपको रोने पर मजबूर कियाऔर लंबे समय तक दुखी रखा… और उसके बाद केकितने ही अध्याय गायब हैं,कितने ही पन्ने फट गए हैं,लेकिन उपसंहार में बसमेरी एक ही […]
Editor’s Pick सूर्यास्त का समय एक सुनसान समुद्र तट –वह आश्चर्य से देख रहा थास्थानीय निवासी झुककर कुछ उठाताऔर फिर दूर पानी में फेंक देता थावह इसी काम की पुनरावृत्ति में लगा था। उसने जिज्ञासावश पूछा – आप क्या कर रहे हैं?स्थानीय निवासी ने जवाब दिया – भाटा हैतारामछलियाँ तट पर आ गई हैंमैं उन्हें वापस […]

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बाग में हजारों गुलाब खिले दिखाई देते हैंसफ़ेद, स्कारलेट, क्रिमसन और वर्मिलियनदेखने और गुजरने वालों की आँखों कोमानों सब कैंडीफ्लॉस ऑफर करते हैं। और फिर उसी बाग के एक कोने मेंएक अकेला पीला गुलाब भी खिलता हैअपनी बेहतरीन खुशबू बिखेरता हुआजैसे अनंत दोस्ती, प्यार और परवाह की। लाल गुलाब आकर्षित करते हैं भटकाते हैंदर्शकों की […]
Editor’s Pick जीवन की सबसे दुखद घटना थीअपने प्यार और दोस्ती को खो देनालेकिन जैसे जैसे समय बीतता गयाप्यार एक अमूर्त बनकर रह गयामैंने दोस्ती को भी फीका पड़ते देखाअब मैने अपने अंदर ही एक दोस्त पायामेरा अपना एकांत! सच है, मुझे अकेले रहना पसंद हैक्योंकि मुझे कभी ऐसा साथी नहीं मिलाजो मेरा इतना साथ […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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