My Humming Word

Poem

  1. Poem
Unable to resist cravingsHe called her from workIn the evening to inquireAbout tonight’s yummy cuisine. She responded with loveFine long-grained white riceOf the hand-picked basmatiFrom emerald green lap of Dehradun… In a thrilling combo withThe tender golden lentilsGently simmered overThe smouldering kiss of flames… Served with dollopsOf fragrant salted butterFreshly chopped onion flakesWith yoghurt, fresh […]
  1. Poem
Nature runsAn open university –The institution called ‘KARMA’It doesn’t hurryIt doesn’t fix curriculumYet everything goes cyclicAs if prior scheduledAnd accomplished. It’s a placeThere are no classroomsNo need to give or take ordersAll and sundry are welcomeYet everyone on probationYou are really servedWhat you made for selfAnd what you deserve. Like a seed needs time to […]
  1. Poem
Five large treasures of snowUnexplored and unconqueredAnd abode of mythical Yeti…O, Mount Kangchenjunga!Your height and mightPanoramic pristine beautyAnd milky whiteAura and ambianceOf snow-capped peaksRemain a mystique for agesInspiring an awe… No wonderWhy from the timeImmemorialOrdinary folks and elitePoets and romantic loversOwe their allegiancePledge their loveTo the virginHimalayan heights. (Also known as Kanchenjunga – this mobile […]
  1. Poem
There is indeedA sudden spurt inJuvenile crimesMolestation, rapeKidnappingAnd abductionOf young womenAnd even childrenIn recent times… What are the reasons?Mere aggressionImpulsive disordersPeer pressuresDisturbed environmentFragmented familiesInternet invasionLavish lifestylesOr uncontrolled freedomFrom respective parents… Need of the hour –Law makersEnforcement agenciesSociety, think-tankersAnd common manMust seriouslyPonder and debateTo seek remediesBefore it’s too late!  29,848 total views,  63 views today

Good Reads

समय और हालात, इंसान कोक्या से क्या बना देते हैंऔर कहाँ से कहाँ पहुँचा देते हैं! किसी का घोर पतन होता हैफिर वह इंसान से इंसानियत केनिम्नतम स्तर तक पहुँच सकता है… तो किसी को यही कारकऊर्ध्वगामी दिशा दे जाते हैं,जीवन में शिखर तक ले जाते हैं। एक स्वार्थ और प्रतिशोध वशराक्षसी प्रवृत्ति का शिकार […]
बाग में हजारों गुलाब खिले दिखाई देते हैंसफ़ेद, स्कारलेट, क्रिमसन और वर्मिलियनदेखने और गुजरने वालों की आँखों कोमानों सब कैंडीफ्लॉस ऑफर करते हैं। और फिर उसी बाग के एक कोने मेंएक अकेला पीला गुलाब भी खिलता हैअपनी बेहतरीन खुशबू बिखेरता हुआजैसे अनंत दोस्ती, प्यार और परवाह की। लाल गुलाब आकर्षित करते हैं भटकाते हैंदर्शकों की […]
Editor’s Pick जीवन की सबसे दुखद घटना थीअपने प्यार और दोस्ती को खो देनालेकिन जैसे जैसे समय बीतता गयाप्यार एक अमूर्त बनकर रह गयामैंने दोस्ती को भी फीका पड़ते देखाअब मैने अपने अंदर ही एक दोस्त पायामेरा अपना एकांत! सच है, मुझे अकेले रहना पसंद हैक्योंकि मुझे कभी ऐसा साथी नहीं मिलाजो मेरा इतना साथ […]
जब भी मैं खोलता हूँपुरानी यादों की किताब,प्रस्तावना में लिखा होता हैउस एक दिन, उसके बाद भीजीवन के एक दौर मेंमैंने आपके दिल और दिमागको गहरी चोट पहुँचाईआपको रोने पर मजबूर कियाऔर लंबे समय तक दुखी रखा… और उसके बाद केकितने ही अध्याय गायब हैं,कितने ही पन्ने फट गए हैं,लेकिन उपसंहार में बसमेरी एक ही […]

Worlwide

समय और हालात, इंसान कोक्या से क्या बना देते हैंऔर कहाँ से कहाँ पहुँचा देते हैं! किसी का घोर पतन होता हैफिर वह इंसान से इंसानियत केनिम्नतम स्तर तक पहुँच सकता है… तो किसी को यही कारकऊर्ध्वगामी दिशा दे जाते हैं,जीवन में शिखर तक ले जाते हैं। एक स्वार्थ और प्रतिशोध वशराक्षसी प्रवृत्ति का शिकार […]
बाग में हजारों गुलाब खिले दिखाई देते हैंसफ़ेद, स्कारलेट, क्रिमसन और वर्मिलियनदेखने और गुजरने वालों की आँखों कोमानों सब कैंडीफ्लॉस ऑफर करते हैं। और फिर उसी बाग के एक कोने मेंएक अकेला पीला गुलाब भी खिलता हैअपनी बेहतरीन खुशबू बिखेरता हुआजैसे अनंत दोस्ती, प्यार और परवाह की। लाल गुलाब आकर्षित करते हैं भटकाते हैंदर्शकों की […]

Trending

सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

Login

You cannot copy content of this page