मेरे देश और हृदय वासियों को हो नव वर्ष मुबारक,
आप ही में मानता हूं, बैठा हैं मेरा जीवन उद्धारक।
जीवन किताब में पूर्ण हुआ, अध्याय दो हजार तेईस,
रहा हमदम हमारा हर दम, दी अपार अपूर्व बक्शीस।
हो आभार ढलते को, उगते का स्वागत झुका के शीश,
आप महात्माओं को परम् सुखद हो दो हजार चौबीस।
रोम रोम से सदा परमानंद बरसे, मन में न हो कभी रीस,
जीभ से आपके प्रेम रस बरसे, हृदय से छलके आशीष ।
चिंता जैसा क्लेश नही जग में, इससे सबको बचाएं जगदीश,
चिंता मुक्ति ही मानुष साधना, बाकी सब साधन बिस्वा-बीस।
सहजता नस नस में बसे, निर्विचार मस्ती में रहें घड़ी बत्तीस,
सुदूर सन्निकट सन्नाटा छाए, भले ही हैं संसार के बीचो बीच।
शुभ, सुखद, स्वस्थ, सुंदर सबको, हो साल दो हजार चौबीस
दुआ हमारी हैं हजारों बार, हो मंगल आपको दो हजार चौबीस।
29,380 total views, 180 views today
No Comments
Leave a comment Cancel