चारों और दिखे मोटा मोटा, घणा मचियोड़ा खखींद ढागा।
हाथ हाथ रा गुला काढ़, राजनीति रा फेफूंड फैंकण लागा।।
कोई रे भोडका माते लाल साफा, कोई रळकाया पाग लाखा।
पैंट पजामा आतरिया फैंक, नीचे धौळी धोती पर जब्बा बागा।।
सुबह पहली कांव कांव कर, हंसा की चाल चलण लागा कागा।
फूटा किस्मत अणूता समाज रा, ढागियों रा तो जुग जुग जागा।।
ऋतु हवा मौसम देख कर ढागिया, करते दिन रात थागा मागा।
कठे कोई शादी अमल हथाई, कठे ढुळे चुकली कठे टूटे तागा।।
कठे कोई राई दिखे का से अळगो, कठे कोई दिखे ओटारू डागा।
देख देख हीये उठे हिलोळा, कितरो जल्दी अपों बणावों ठागा।।
कोई पूछे जुलूस क्या खर्च लगा, जवाब देते ‘सब समाज जागा’।
‘आजा तुम भी मेरी गाड़ी में बैठजा, तो हो जाए सोने में सुहागा’।
रतना, हड़मल, आसू, भोपाल को, वीर बनाकर रामबाण दागा।
राजनीति की मखमली कुर्सी के, बना दिया इनको स्वर्ण पागा।।
कभी कोई गुला काढ़े रतना का, फेफूंड फैंके हड़मल का ढागा।
कोई भभभभभभ करे आसूजी, कोई झाग भोपाल काढण लागा।।
आज आधे जन भूख से पीड़ित, बहुतों के कपड़ों में भी बागा।
तुम्हें मिले सूट बूट तो क्या, कपड़ों में तुम औरों से ज्यादा नागा।।
आखर की किसको फिक्र, ओहदों के अंगारे फूंक रहे ज्यादा।
जाति के ढोल मत बजाओं, यारों, बुनो कोई सौहार्द का धागा।।
पढ़िया अनपढ़ से गया गुजरा, मूछ मुंडाय फिरे उजला अभागा।
पंचड़ियों का पिट्ठू बना रहता, नहीं जाता उससे कुरीति त्यागा।।
ढागियों तापड़ चढ़िया मत घूमो, गांव गांव दे दे ढोल का डाका।
तुमसे पहले राजा बलि से, थक कर गए कर कर जग को हाका।
माथा रा हेंठा ज़ुबान रा काचा, बहस में बक बक झूठ में पाका।
आगे आपकी मर्ज़ी ज्यों बहना, हम तो कह कह कर हुए थाका।।
हड़मल, ऊंट दिवस मनाय मनाय, थोंरे तो निकल जावेला नाका।
चंदा रकम सूं थोंने मिल जासी, दारू भोज डोडा होटल ठहाका।।
थोंरे साथे फिरने वाले लोगों के, फिरे दिन पड़े रोटी का फाका।
बाप का डेरा लाल की डांग पर, टाबर लुगाई घर फाड़े बाका।।
लुगाई बावलों री फिरे थौनों थपोंनों, पल्ले बांध ओइसिया आका।
भरतारो पाड़ो भोपाजी बावजी, म्हारे कंतोजी ने कब छोड़ेला माका।।
मचियोड़ा = उत्तेजित; खखींद = विशालकाय; ढागा = सांड ऊंट; गुला = जीभ निकाल कर चुनौती भरी आवाज।; फेफूंड = झाग; भोडका = खोपड़ी; रळकाया = पहना; आतरिया = आवरण; जब्बा = चोगा; बागा = नए छबीले वस्त्र; लाखा = मरून रंग; अणूता = बहुत; कागा = कौआ; थागा मागा = इरादा बनाना; अमल हथाई = अफ़ीम सभा; टूटे तागा = मौत पर सूतक निकालने की प्रक्रिया; अळगो = दूर; ओटारू डागा = ऊंट; हीये = ह्रदय; ठागा = स्वार्थ सिद्ध करने का कोई फर्जी उपाय; पागा = पैर, पाया; लुगाई = पत्नी; बावलों = पगले, मंद दिमागी; थौनों थपोंनों = देवी देवताओं के चबूतरों, स्थानों पर; पल्ले = आंचल में; ओइसिया = देवता को अर्पित; आका = अनाज के दाने; भरतारो = देवता की आत्मा को बुलाना; भोपा = देवता का पुजारी जिसमें देवता प्रवेश कर बोलता; कंतोजी = पतिदेव; माक़ा = चंदा वगेरह से प्राप्त मुफ़्त की चीजों पर पेट पालने वाले लोग; बागा = छेद; नागा = नंगा; तापड़ चढ़िया = उछल कूद करना; माथा = सिर; हेंठा = मज़बूत, जिद्दी; काचा = कच्चा; पाका = पक्का; बहना = चलना; थाका = थक गए; थोरे = आपके; नाका = काम, मतलब; ठहाका = जोर से हंसी; फाड़े बाका = इंतजार में ऊब कर मुंह फाड़ना; फाका = कमी.
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