चिर काल तक आप सबको पेश है मेरी हर शुभ प्रभात,
बाइस जनवरी को भारत में, घटी बड़ी ऐतिहासिक बात।
भावना मेरी परम सुखी हों सबके कुटुंब तात और मात,
सीता जैसी भार्या हों आपकी, हों लक्षमण जैसे भ्रात।
राम होकर भी राम को ढूंढते, क्यों हम दिन और रात,
काम सा नहीं राम जग में, काम में बसती है करामात।
राम तो विष्णु के अवतारी थे, हम ठहरे एक परिजात,
वो त्याग तपस्या वरदानों से, किए करतब अकस्मात।
बिन बिजली बादल निशानों के, बरसाते थे बरसात,
फिर भी रावण मायावी ने की एक अपहरण वारदात।
राम नाम वो अटूट हौंसला हैं, जो सहे हजार वज्रपात,
कर राख अंहकार रावण का, तमाम किया एक उत्पात।
धरा पे हर चेतन अचेतन हस्ती, है प्रभु की क्षता साक्षात,
सच्ची लगन निष्ठा से काम कर, देश विदेश बदलें हालात।
जिंदगी और मौत की जंग में, हम शिकस्त कर सकें वफ़ात,
योग और काम का युगल ही, होगा रामराज्य का सूत्रपात।
निष्काम कर्म से बढ़कर नहीं, जग में कोई उपदेश कोई बात,
भले सुनो कबीर, रविदास, लाओत्से, अरस्तू, प्लेटो, सुकरात।
करें अविराम काम, यही है राम, यही है ईश्वर यही है हनुमान,
महावीर यही बुद्ध ईसा यही घनश्याम, ऐसा मेरा है अनुमान।
परिजात= जन्मा हुआ, वफात= मौत
10,701 total views, 28 views today
No Comments
Leave a comment Cancel