My Humming Word

Year: 2023

  1. Poem
Editor’s Choice A profanity and curse of the ancient Bharat (India): Invasions, upheaval and deliberate exploitationCaused by the Islamic invaders for the centuriesAnd prolonged enslavement by the colonial powersThe consequent instability & turmoil in the nation…Rendered its ethnic socio-cultural fabric vulnerableSo also its glorious customs, traditions and languagesFragile and prone to deliberate aversion and destructionUnder […]
  1. Poem
Invention of the silicon microchipDuring the twentieth centuryRevolutionized electronic industryAnd advent of artificial intelligenceIs now taking the human civilizationTo a miraculous yet frightening level… For now, if we ignore the flip side of itIn the social, electronic and print mediaWe have AI anchors like the Indian SanaSo suave, polite, calm and articulated…For many real-life anchors […]
  1. Poem
जीवन भर रहा सफर में मंजिल न हाथ में आयी,जीवन-असीम अम्बर में न चाॅंद पड़ा दिखलाई।संसार वृक्ष उपवन में आयी न कभी तरुणाई,अधखिली कुसुम की कलियाॅं न फूल कभी बन पाई। दुख-भग्न हृदय अंतर में तारों की स्वर लहरी हो,सूने मन के ऑंगन में न खुशी कभी ठहरी हो।करुणा सिंचित उपवन में क्या पुष्प नेह […]
  1. Poem
Editor’s Choice जब भी बढा़ओ हाथ तो चुभते हैं सिर्फ़ कांटे रिश्तों के गुलमोहर पर उगती हैं नागफनियां। हम चाहें भी तो उनसे मिलना है बहुत मुश्किल अपनो के इस शहर में कितनी हैं तंग गलियां।  हालत की आंधी मे जज्बात उड़ गये पर सोई हैं दिल में अब भी बचपन की भोली परियां। कटती नहीं हैं फिर भी उम्मीद […]
  1. Poem
LifelongPeople chase temporal  objectsOf money and other physical goodsFor own hedonistic & sensual pleasureWith an endless quest and cravingNurturing this false notion and beliefThat they are real source of happiness… Alas! How unreal and mistaken they areB’coz true happiness never comes withMaterial possessions and sensory pleasuresIt’s a virtue – contentment, the SantoshaThat carries true and lasting […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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