My Humming Word

Poem

  1. Poem
Although he knows it wellIt’s foolish to try ever reasonWith the outlandish and ignorantNonetheless caught in a predicationHe put forth his opinion, explainingHumour & sarcasm in ensuing fashion. Humour is meant ‘laughing together’In the company of whom one sharesPlenty intimacy, camaraderie and love;Sarcasm at most of the time or occasionsIs intended to laugh at the […]
  1. Poem
Desperation is horrible state of mindOf the utter doom and hopelessnessThat some human beings suffer withTemporarily or all time to come in lifeUsually such a person is distinguishedWith high ambition and insatiable urgeFor the people’s attention and limelightAt their place and environment around. Desperation instils false sense of prideWithout upright moral values and ethicsWhen denied […]
  1. Poem
उन दोनो ने हलवाई की दुकान देखीगर्म समोसे और जलेबी छनती दिखीवैसे तो थे दोनों खुद की जेब से तंग पर फिर भी वह रहते थे मस्त मलंग. देखने लायक थी आंखों में आई चमकबस एक शैतानी मुस्काराहट की धमककुछ अनोखा कर गुजरने को थे आमादामानो कर रहे आँखों-आँखों में एक वादा. अगले ही क्षण दोनों […]
  1. Poem
During all those bygone yearsWith hard work and endeavourHe earned and accomplishedName, position and money…In short, everything mundaneYet essentially needed in lifeFor a reasonably snug livingThat a man or a woman wouldaspires for… Yet he often thinks, he isVulnerable, wronged and angryDue to outer environment & stimuli…With too many demons inside,Who keep him haunting, andDepriving […]

Good Reads

समय और हालात, इंसान कोक्या से क्या बना देते हैंऔर कहाँ से कहाँ पहुँचा देते हैं! किसी का घोर पतन होता हैफिर वह इंसान से इंसानियत केनिम्नतम स्तर तक पहुँच सकता है… तो किसी को यही कारकऊर्ध्वगामी दिशा दे जाते हैं,जीवन में शिखर तक ले जाते हैं। एक स्वार्थ और प्रतिशोध वशराक्षसी प्रवृत्ति का शिकार […]
बाग में हजारों गुलाब खिले दिखाई देते हैंसफ़ेद, स्कारलेट, क्रिमसन और वर्मिलियनदेखने और गुजरने वालों की आँखों कोमानों सब कैंडीफ्लॉस ऑफर करते हैं। और फिर उसी बाग के एक कोने मेंएक अकेला पीला गुलाब भी खिलता हैअपनी बेहतरीन खुशबू बिखेरता हुआजैसे अनंत दोस्ती, प्यार और परवाह की। लाल गुलाब आकर्षित करते हैं भटकाते हैंदर्शकों की […]
Editor’s Pick जीवन की सबसे दुखद घटना थीअपने प्यार और दोस्ती को खो देनालेकिन जैसे जैसे समय बीतता गयाप्यार एक अमूर्त बनकर रह गयामैंने दोस्ती को भी फीका पड़ते देखाअब मैने अपने अंदर ही एक दोस्त पायामेरा अपना एकांत! सच है, मुझे अकेले रहना पसंद हैक्योंकि मुझे कभी ऐसा साथी नहीं मिलाजो मेरा इतना साथ […]
जब भी मैं खोलता हूँपुरानी यादों की किताब,प्रस्तावना में लिखा होता हैउस एक दिन, उसके बाद भीजीवन के एक दौर मेंमैंने आपके दिल और दिमागको गहरी चोट पहुँचाईआपको रोने पर मजबूर कियाऔर लंबे समय तक दुखी रखा… और उसके बाद केकितने ही अध्याय गायब हैं,कितने ही पन्ने फट गए हैं,लेकिन उपसंहार में बसमेरी एक ही […]

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समय और हालात, इंसान कोक्या से क्या बना देते हैंऔर कहाँ से कहाँ पहुँचा देते हैं! किसी का घोर पतन होता हैफिर वह इंसान से इंसानियत केनिम्नतम स्तर तक पहुँच सकता है… तो किसी को यही कारकऊर्ध्वगामी दिशा दे जाते हैं,जीवन में शिखर तक ले जाते हैं। एक स्वार्थ और प्रतिशोध वशराक्षसी प्रवृत्ति का शिकार […]
बाग में हजारों गुलाब खिले दिखाई देते हैंसफ़ेद, स्कारलेट, क्रिमसन और वर्मिलियनदेखने और गुजरने वालों की आँखों कोमानों सब कैंडीफ्लॉस ऑफर करते हैं। और फिर उसी बाग के एक कोने मेंएक अकेला पीला गुलाब भी खिलता हैअपनी बेहतरीन खुशबू बिखेरता हुआजैसे अनंत दोस्ती, प्यार और परवाह की। लाल गुलाब आकर्षित करते हैं भटकाते हैंदर्शकों की […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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