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Editor’s Pick Among universal negative attributes, anger and mistrust are twosome that cause maximum discomfort and harm to the practicing person and his (or her) relationship with others. We all know that the sour relationship may become a toxic exchange of hurtful words and utterances, impaired trust, and emotional and physical abuse. Anger is one […]
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जब विचार मरते हैं, तब समाज केवल शरीरों का समूह रह जाता है – संवेदनहीन, दिशाहीन व विनाश की ओर अग्रसर। आज का समाज निःसंदेह तकनीकी प्रगति तथा भौतिक समृद्धि की नई ऊँचाइयों पर है, किंतु भीतर ही भीतर वह एक अदृश्य संकट से गुजर रहा है। यह संकट कोई महामारी नहीं, कोई युद्ध नहीं, […]
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मानवीय रिश्ते चाहे वह आनुवंशिक हों अथवा मित्रता के बहुत संवेदनशील होते हैं जिन्हें अच्छा और मजबूत बनाए रखने के लिए लगातार सकारात्मक सोच एवं पहल के साथ-साथ परस्पर विश्वास की आवश्यकता बनी रहती है। इसके ठीक विपरीत जो लोग निजी स्वार्थ और आत्मकेन्द्रित रहकर रिश्ते निभाने का प्रयास करते हैं उन्हें अक्सर असफलता एवं […]

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Editor’s Pick सूर्यास्त का समय एक सुनसान समुद्र तट –वह आश्चर्य से देख रहा थास्थानीय निवासी झुककर कुछ उठाताऔर फिर दूर पानी में फेंक देता थावह इसी काम की पुनरावृत्ति में लगा था। उसने जिज्ञासावश पूछा – आप क्या कर रहे हैं?स्थानीय निवासी ने जवाब दिया – भाटा हैतारामछलियाँ तट पर आ गई हैंमैं उन्हें वापस […]
मैं अक्सर सोचता रहता हूँक्या तुम भी कभी याद करते होहम कभी-कहीं मिले थे एक बारकुछ साझे पल और स्थान साक्षी हैं। तुम खुद तो आगे बढ़ गए थेपर कुछ स्मृतिचिह्न पीछे छोड़ गएवे अधूरे सपने और अधूरी इच्छाएँमैंने जीवन भर एक अंधे की तरह उनका पीछा किया। जीवन के इस बहीखाते मेंमेरे हिस्से में […]
Editor’s Pick Resounding echoes of the absenceMuffled whispers of the memoriesLifeless beats of the hollowed heartAre aide-memoire of one’s dire loss Throbbing agony of an aching soulMelancholy of an ever longing heartPining sensation of a nostalgic waitLive eternal legacy of one’s yearning An intense and timeless aching voidAn unbearable, gnawing emptinessA lonesome heart’s imposing strainMirror […]

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Editor’s Pick सूर्यास्त का समय एक सुनसान समुद्र तट –वह आश्चर्य से देख रहा थास्थानीय निवासी झुककर कुछ उठाताऔर फिर दूर पानी में फेंक देता थावह इसी काम की पुनरावृत्ति में लगा था। उसने जिज्ञासावश पूछा – आप क्या कर रहे हैं?स्थानीय निवासी ने जवाब दिया – भाटा हैतारामछलियाँ तट पर आ गई हैंमैं उन्हें वापस […]
मैं अक्सर सोचता रहता हूँक्या तुम भी कभी याद करते होहम कभी-कहीं मिले थे एक बारकुछ साझे पल और स्थान साक्षी हैं। तुम खुद तो आगे बढ़ गए थेपर कुछ स्मृतिचिह्न पीछे छोड़ गएवे अधूरे सपने और अधूरी इच्छाएँमैंने जीवन भर एक अंधे की तरह उनका पीछा किया। जीवन के इस बहीखाते मेंमेरे हिस्से में […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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