My Humming Word

 दृश्य तब भी 
उपस्थित होते हैं 
जब आँखें बंद हों 
बातें तब भी मैं तुमसे करता हूँ 
जब केवल तुम्हारी आकृति हो.

मन की एकाग्रता में भी 
तुम्हारा प्रवेश क्षण की धार को 
लय देता है 
और तुम नितत जलती आँच से 
आलोकित मेरे हृदय को 
शीतल नमी का अहसास देते हो.  
बीहड़ जंगल की काली रात में भी 
मैं निर्भय हो तुम्हें  ढूढता  हूँ.  

प्रेम स्थूल देह के 
स्पर्श के घेरों से भी बाहर 
सूक्ष्म अति सूक्ष्म भावतंत्र का 
एक सार्वभौम यथार्थ है. 

व्यक्त या अव्यक्त से अपरिभाषित 
मात्र संवेदना के समर्पित धागे 
वाहक बन जोड़ते हैं अदृश्य को 
अटूट स्थायित्व के बंधन से. 

मैं या तुम अकेले-अकेले 
या दोनों मिलकर 
एकात्म की अविभाज्यता में 
बहते चलते हैं 
आस्था और विश्वास लिए 
अबूझ अंत तक.

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