My Humming Word

हर एक गोधूलि की शुरुआत,
शरीर के साथ मेरा मन भी
थका और बोझिल सा हो जाता है
फिर हताश मन तरसता रहता है
आपकी मधुर वाणी और निकाय
के स्नेहिल और स्निग्ध स्पर्श सुख
का एहसास एक बार फिर से
जीवन में पाने और जीने के लिए…

मानो गहराती हुई रात की
नीरवता एवं स्तब्धता के बीच
भयावह अग्नि की ज्वाला उठी हो
जिसमें जीवनी शक्ति से हीन
मैं झुलस रहा हूँ जल रहा हूँ
आशा में, शायद तुम आ जाओ
मेघवर्षा की मनभावन बूंदें बनकर
मेरे मन-आत्मा की ज्वाला शांत करने.

Image Courtesy: Pinterest

 48 total views,  48 views today

Do you like Dr. Jaipal Singh's articles? Follow on social!
Comments to: ज्वाला

Login

You cannot copy content of this page