My Humming Word

  1. Poem

मौन को संवाद दे दो

Editor’s Choice

मत सियो तुम ओंठ अपने मौन को संवाद दे दो,
सुन रहा हूँ गीत कोई आज ऐसा तुम सुना दो।

है समय का यह तकाजा भूल जाओ आज हम को।
पर कहाँ का न्याय है अपराध से बढ़कर सजा दो।
फिर न कहना यह मेरे दिल की कभी ख्वाहिश न थी-
गर जहर देना मुझे है तो अमिय पहले पिला दो।
सुन रहा हूँ गीत कोई आज ऐसा तुम सुना दो।

जो हकीकत सामने है क्यों नहीं स्वीकार करते,
जो लिखा तकदीर में है क्या कभी वो शब्द मिटते।
बस्तियाँ सब जल रहीं हैं बारिसें हैं पत्थरों की-
हम हैं गहरी नींद सोये नींद से हमको जगा दो।
सुन रहा हूँ गीत कोई आज ऐसा तुम सुना दो।

जिंदगी दुश्वारियों का ही बदलता रूप है,
राह है काँटों भरी सर पर गजब की धूप है।
ता कयामत जिंदा रहने की सजा हमको मिली,
गुमशुदा हम फिर रहे हैं मुझको ही मेरा पता दोे।
सुन रहा हूँ गीत कोई आज ऐसा तुम सुना दो।

गीत के बाजार में है भीड़ कवियों की बहुत,
सुनने वाले गिनती के हैं कहने वाले हैं बहुत।
कौन ऐसे में सराहेगा कलम के काम को-
नींद से आँखें हैं बोझिल इस कलम को तुम सुला दो।
सुन रहा हूँ गीत कोई आज ऐसा तुम सुना दो।

 7,649 total views,  3 views today

Comments to: मौन को संवाद दे दो

Login

You cannot copy content of this page