चलो ‘युधिष्ठिर’ जीत गये तुम
अब नवीन कुछ काम करो
पराजितों को गले लगाकर
उनका भी सम्मान करो
‘प्रसाद’ के साथ मिलकर तुम
नए युग की शुरुआत करो
‘आभा’ और ‘अभिषेक’ सुनो
अब तुम्हारी ये जिम्मेदारी है
बड़े-बुजुर्गों का मान बढ़ाओ
क्योंकि सोच तुम्हारी प्यारी है
दोनों ‘शर्मा बन्धु’ मिलकर
अब बिन शर्माये काम करो
बनी रहे ये युगल जोड़ी
ऐसा कुछ व्यवहार करो
‘महेंद्र’, तुम बन गए खजांची
कॉलोनी को मालामाल करो
सभी सदस्यों के अंशदान का
पाई-पाई हिसाब रखो
‘संध्या’ तुम एक नयी सुबह हो
नयी संस्कृति का संचार करो
‘जगजीत’ पूरा जगत जीत लो
अब ऐसा संगठन तैयार करो
‘दीपक’ तुम एक दीपक जैसे
एक नयी ऊर्जा का संचार करो
‘दीपा’ तुम बस अलख जगाओ
नया फिर कुछ निर्माण करो
‘गीता’ तुम तो गीता हो
अन्याय का विनाश करो
‘अमित’ तुम तो वैज्ञानिक हो
नया कुछ अविष्कार करो
‘राजेंद्र’ तुम हो राजा जैसे
राजा सा व्यवहार करो
‘विक्रम’ तुम विजयी हुए हो
एक योद्धा सा इतिहास रचो
और तुम अब सारे मिलकर
पांच पांडवों सा विकास करो
चलो ‘युधिष्ठिर’ जीत गये तुम
अब नया कुछ काम करो
और नया कुछ काम करो।
Note: This poem has been written by the poet to welcome a victorious team in a bitterly contested local election, with a hope that the new team would unitedly work for the progress and welfare of people living in a community set up.
Image Source: Winner Team
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