दर्द संजोये रखना दिल में अधरों से कुछ मत कहना।
हँस-हँस कर कितना कोई पूँछे सीने में भींचे रहना।
कहने से हासिल क्या होगा इठलायेंगे सभी मगर-
बांट न लेगा लेशमात्र कोई खुद को ही सब है सहना।
रखना सदा छुपाए इसको अपनी पलकों के अंदर।
चारों ओर हो तिमिर घनेेरा बिछे हुए कांटे पथ पर।
घोर उदासी के बादल से घिरा हुआ हो नभ मंडल-
आशाओं के दीपक हरदम दिल में जलाए ही रखना।
दिल में तेरे उतर न जायें राहों के ये अंधियारे।
खालीपन जीवन का जैसे दुनिया के सब दुखियारे।
दिल के दरवाजे पर रखना दर्द को चौकीदार बना-
और उदासी के चोरों से खुद को बचाए ही रखना।
सूजी आंखे लिए मैं कब से ढूंढ रहा हूं एक कोना।
कब तक जब्त करूं खुद को मैं चाह रहा हूं अब रोना।
रोने की जगहें तो कम हैं और वजहें हैं बहुत यहां-
सबको बस है यही नसीहत खुद को छुपाए ही रखना।
नींद ने कर ली रात खुदकुशी पलकों से बाहर जाकर।
संस्कार के इंतजार में स्वप्न पड़े हैं कफन ओढ़ कर।
सांस-सांस की भीख मांगती जीने की उत्कट इच्छा-
खुद के हाथों खुद की हत्या किसी तरह रोके रखना।
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