My Humming Word

  1. Poem

अस्तित्व

This image has an empty alt attribute; its file name is sunrise-793x1024.jpg

मस्तिष्क की अनंत गहराइयों में,
अहिर्निश लयबध्द चलती एक पुकार.
स्मृतियाँ बीते जीवन की,
कौंधती भ्रमित करती यथार्थ.
तार अवचेतन ही स्पंदित होते,
मूक  अगद्य थम जाते.
जीवन दैनन्दिनी में बीता जाता,
स्पृश्य-अस्पृश्य के बीच.टूटा-टूटा,
कटा-बटा-सा चलता अस्तित्व,
प्रछन्न उपलब्धियों की छाँव तले.
मंथन ‘मैं’ और ‘मेरे’ बंधनों का,
रसहीन कर ला छोड़ता है अकेला.
द्रष्टि का अनंत विष्तीर्ण पटल,
नयनाभिराम, मनमस्तिक में अंकित,
बहुरंगी, वैविध्यमय, अबूझ,
नव, नव-नव, अनावरुद्ध होता संचित.
उम्र या बंधनों का है क्या यह परिणाम,
अनिवार्यतः करता जो असंबध्द-निर्वाण.
आध्यात्म या अनामंत्रित-अनुभूत-ईश्वर,
नश्वरता का है क्या देता अंतिम ज्ञान.

Image (c) KDS Parmar

 5,855 total views,  5 views today

Comments to: अस्तित्व

Login

You cannot copy content of this page