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एक बीमार सौ…..!?

आफिस में फाइलें देखते-देखते अचानक शर्मा जी के सीने में जोर का दर्द उठा। दर्द इतना तेज था कि वे अपने आपको सम्हाल नहीं सके और वहीं टेबिल पर बहोश हो गये।  विभाग के सभी कर्मचरी दौड़ पड़े।  आनन-फानन में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।  डा0 ने फौरन आई0सी0यू0 में भर्ती कर लिया।  घर वालों को खबर पहुंचा दी गई।  शर्मा जी की पत्नी और दोनों बच्चे रोते कलपते अस्पताल पहुंच गये।

…खैर एक घन्टे बाद शर्मा जी को होश तो आ गया लेकिन डाक्टरों ने हार्ट-अटैक का शुबहा बता कर ई0सी0जी0 और तमाम तरह के टेस्ट के लिये उन्हें अस्पताल में ही रोक लिया।  लेकिन अभी परिवार वालों से भी मिलने की मनाही थी।  शर्मा जी को होश आ गया यह सुन कर उनके परिवार वालों को थोड़ी तसल्ली मिली थी कि हार्ट अटैक का नाम सुन कर बेचारी पत्नी और बच्चे फिर से सिसकने लगे।  रोते-बिलखते परिवार को सांत्वना देने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये विभाग के बड़े बाबुओं और चपरासियों की पूरी टीम वहां घिर आई।  वर्मा जी ने रोते हुये बड़े बेटे की पीठ पर हाथ फिराया – श्  अरे बेटा इतना घबराने की बात नहीं है अभी।  तुम लोग कोई अकेले नहीं हो।  पूरा विभाग तुम्हारे साथ है। अपनी मां को सम्हालो बेटा। अभी तो पहला अटैक है।  पहले अटैक में कुछ नहीं होता अभी तो एक और अटैक झेल सकते हैं तुम्हारे पिता जी । हां तीसरा अटैक तो भाई खतरनाक होता ही है। खैर … उसकी नौबत ही नहीं आयेगी।

तभी बड़े बाबू गुप्ता जी ने भी कुछ बोलने के लिये मुंह खोला ही था कि एक नर्स ने आकर डांट दिया – आप लोगों को बोलना है तो बाहर जाकर बोलिये । यहां इतना शोर अलाऊ नहीं है। … भीड़ लगा रखी है जैसे हास्पिटल नहीं सब्जी मन्डी है।  गुप्ता जी अपने शब्द मंुह में ही घुटकते हुये फुसफुसाये – यहां बेचारे शर्मा जी की जान जा रही है, परिवार पर बिपत पड़ी है और इनको देखो, नियम कानून समझा रही हैं। … चलो भइया सब लोग बाहर चलें। आ जाओ बेटा। बिटिया तुम भी अपनी मम्मी को लेकर बाहर निकल चलो।श्

               शर्मा जी का परिवार आॅफिस की भीड़ के साथ अस्पताल के बाहर वाले वरान्डे में आ गया।  सारे शुभचिन्तकों ने फिर से अपनी अपनी नैतिक जिम्मेदारी सम्हाल ली। बाबू गंगादीन पान की पीक से बगल में रखे कूडेदान को सार्थक करते हुये बोले – श् रामः-राम बड़ी खराब बीमारी है यह हार्ट अटैक । एक बार पड़ा तो समझो तीन बार पड़ना जरूरी है।  अब देखो तीसरा कब पड़ता है।

तभी बद्री प्रसाद उनकी हां में हां मिलाते बोल पड़े – अरे हमारी  बहन के जेठ का लड़का तो बेचारा ताबड-तोड चल बसा इसी हार्ट अटैक से।

               इनकी बातों से शर्मा जी के दोनों बच्चे अपनी मां से लिपट कर सिसक-सिसक कर रोने लगे तभी बुजुर्ग  और अनुभवी जटाशंकर बाबू ने कमान सम्हाल ली – श्अरे बच्चों तुम लोग नाहक इतना हलकान हुये जा रहे हो।  हम तुम्हारे पिताजी को शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में ले आये हैं देखना चुटकी बजाते ही तुम्हारे पिताजी ठीक हो जायेंगे । … वैसे बेटा, शर्मा जी को इतना जबरदस्त अटैक पड़ा था कि ऐसी हालत में तो दस में से नौ मरीज तो समझो खतम ही हो जाते हैं। लेकिन एक बात बहुत अच्छी हुई कि जिस डाॅक्टर के पास हम आये हैं उनके नौवे हार्ट पेशेन्ट का कल ही राम नाम सत्य हुआ है।  शर्मा जी तो उसके दसवें मरीज हैं। किस्मत वाले हो तुम लोग बच्चों ! अब तुम्हारे पिताजी जरूर बच जायेंगे।

अपना भावी मर्सिया पढ़ने के बाद जटाशंकर बाबू इत्मीनान से बरान्डे में टहलने लगे।  थोड़ी दूरी पर विभाग के चपरासियों की जमात गोल बनाकर खैनी और पान मसाले से अपना टाइम पास कर रही थी।  बगल वाले को खैनी पास करता हुआ उनमें से एक बोला- आज कल तो भइया इधर हार्ट अटैक हुआ तो समझो उधर किडनी फेल हुयी ष् तो समझो लीवर भस्ट हुआ।

               तभी सेक्शन आॅफिसर सक्सेना जी बाहर से लपकते हुये आये – ये क्या तुम लोग आयं-वांय बक रहे हो।  न जानो न बूझो बस कयास लगाने बैठ गये । चलो जाओ सब बाहर । फिर अपनी टाई ठीक करते हुये शर्मा जी की पत्नी से बोले – भाभी जी हमारे फुफेरे भाई बहुत मशहूर हार्ट सर्जन हैं। अगर शर्मा जी की ओपेन हार्ट सर्जरी करवानी हो तो मुझे बताइयेगा।  मैं काफी कन्सेशन में काम करवा दूंगा।

               सक्सेना जी की बात सुनकर बगल में उचक रहे गुप्ता जी फिर से करीब आ गये सक्सेना जी के थोड़ा खिसकते ही शर्मा जी के बेटे से फुसफुसाते हुये बोले – लेकिन बेटा ओपेन हार्ट सर्जरी करवाने से पहले अपने पिताजी के गुर्दे और लिवर का बीमा जरूर करवा लेना । आज कल के डाॅक्टरों का कोई भरोसा नहीं। ऊपर फाड़ेगें और हाथ डालकर नीचे से किडनी गायब कर देंगे। बड़ा खराब जमाना आ गया है।श्

               बेचारे बच्चे और पत्नी यह सब सुन-सुन कर अधमरे हुये जा रहे थे। उनकी दशा देख कर पंडित जटाशंकर उन्हंे ढांढस बंधाते हुये बोले – श् शर्मा जी अगर बाबा रामदेव वाले नुस्खे अपनाते तो आज यह नौबत नहीं आती।  मैंने कितनी बार उनको समझाया मगर … खैर अभी भी देर नहीं हुई है । अगर इस बार अस्पताल से निकल कर सकुशल घर पहुंच जाते हैं तो तुम सब जुट जाना उनकी तामीरदारी में।  योगा करवाना, काढ़ा पिलाना, लौकी का दूध और जवार के रस का सेवन जरूर करवाना । बस देखना । महीने भर में कितना चमत्कारिक असर होता है बाबा के राम- बाण का ।

…और दुर्भाग्यवश यदि शर्मा जी को इसकी जरूरत नहीं पड़ी तो तुम आज की पीढ़ी के नौजवान जरूर अपनाना बाबा के नुस्खों को। मिश्रा जी जो क्लर्क के साथ-साथ बीमा ऐजेन्ट भी थे चिन्तनपूर्ण मुद्रा में बोले – श् जाको प्रभु दारून दुख देही, ताकि मति पहिलेहि हर लैही। मैंने कितनी बार शर्मा जी से कहा कि अपना इन्श्योरेन्स करवा लो।  लेकिन कहां माने।  आज पाॅलिसी ली होती तो बेचारे इन मासूम बच्चों को कितना सहारा होता ।  तभी बगल में बैठे खान साहब बोले – श्अरे शुभ-शुभ बोलिये पंडित जी । काहे बेचारे बच्चों को डरा रहे हैं । आपके कहने पर तो हमने अपनी तीनों बीवियों का बीमा करवाया । कमबख्त तीनों टी0 बी0 की मरीज होने के बावजूद आज तक महफूज हैं।

               पिछले तीन घन्टों से शर्मा जी की पत्नी बच्चे सब रो रोकर अधमरे से हो गये थे। तभी अचानक डा0 ने आकर उन्हें खुशखबरी सुनाई – मि0 शर्मा को कोइ्र अटैक वगैरह नहीं पड़ा था । बस गैस्ट्रिक प्राॅब्लम हो गई थी।  अब वे एकदम ठीक हैं । आप उन्हें घर ले जा सकते है।

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