My Humming Word

Philosophy

  1. Poem
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
  1. Poem
As scientist, you actively subscribe toPhysical existence of the EndocrinesSuch as Thyroid and ParathyroidPancreas and HypothalamusAdrenal, Pineal and ThymusAlso even ovary and testicle…And above all, the Pituitary glandAs master and controller of all above. Then as atheist or scientistNone of you ever denyThe abstract existence and powerOf the positive attributesSuch as Love, Joy and GratitudeHope, […]
  1. Poem
Deep in the eternity of mind,A rhythmic call continues.Bits of life by-gone,Spark diluting the reality.The strings without-consciousness,Play on un-composed, unsung.Life goes on performing the routines,In the midst of tangibles and intangibles.There you go torn, camouflaging The nebula of fulfillment.The bondage of I’s and My’s churns, Squeezing to the state of solitude.Infinite is the spectrum,That is drawn in […]
  1. Poem
मस्तिष्क की अनंत गहराइयों में,अहिर्निश लयबध्द चलती एक पुकार.स्मृतियाँ बीते जीवन की,कौंधती भ्रमित करती यथार्थ.तार अवचेतन ही स्पंदित होते,मूक  अगद्य थम जाते.जीवन दैनन्दिनी में बीता जाता,स्पृश्य-अस्पृश्य के बीच.टूटा-टूटा, कटा-बटा-सा चलता अस्तित्व,प्रछन्न उपलब्धियों की छाँव तले.मंथन ‘मैं’ और ‘मेरे’ बंधनों का,रसहीन कर ला छोड़ता है अकेला.द्रष्टि का अनंत विष्तीर्ण पटल,नयनाभिराम, मनमस्तिक में अंकित,बहुरंगी, वैविध्यमय, अबूझ,नव, नव-नव, […]

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प्रतिवर्ष दशानन दहन किया, मन के रावण का नाश नहीं,अगनित सीता अपहृत होती, निज मर्यादा का भास नहीं।हम एक जलाते दशकंधर, शत दशकंधर पैदा होते,करते जो दहन मन का रावण, हर गली में रावण न होते। इस शक्ति पर्व का हेतु है क्या, है ब्यर्थ दिखावे की शक्ती,निर्बल को संबल दे न सके, अन्याय से […]

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