My Humming Word

Loss

  1. Poem
“सुरता” कहे सुनो “वीरू” माता,आप है पहली गुरु, भाग्य विधाता ।।“सुरता” कहे मेरे दूसरे गुरु दाता,“गुणेश” जी रहे सबसे बड़े भ्राता ।। उम्र मेरी 5 हुई विधवा हुई माता।पिता कमी को भुला दिया भ्राता ।।खुद नहीं खाता पर, मुझे खिलाता ।ऐसे भाई जैसे, कहां जग दाता! रात दिन एक कर, खूब कमाता ।निक्कर कुर्ता आप, […]
  1. Poem
शरद ऋतु तो अभी भी आती हैपर पतझढ़ में अब वह बात कहाँ  वह वैभव वह भव्यता नहीं दिखती जो बरसों पहले हुआ करती थीपेड़ों से झिलमिल झरती वह पत्तियाँ उनके लाल, पीले, नारंगी, सुरमई रंग. वसंत भी हर साल अब भी आता हैपर नवजीवन नव-उल्लास नहीं लातावैसी समृद्धि-सम्पन्नता अब नहीं दिखतीकोपलों और कलियों में […]
  1. Poem
Editor’s Choice The fall season still comes, butWithout the glory and splendorAs hitherto dwelled in yesteryearsA lackluster vegetation without shadeOf all so familiar hues and candour… The Springtide still comes, butFlora lacks usual plentiful affluenceScales and buds lack their prime youthFlowers too neither blossom nor displaySo familiar rainbow variegation anymore… Have the seasons suffered impasse, […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]

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