My Humming Word

Year: 2023

  1. Poem
“सुरता” कहे सुनो “वीरू” माता,आप है पहली गुरु, भाग्य विधाता ।।“सुरता” कहे मेरे दूसरे गुरु दाता,“गुणेश” जी रहे सबसे बड़े भ्राता ।। उम्र मेरी 5 हुई विधवा हुई माता।पिता कमी को भुला दिया भ्राता ।।खुद नहीं खाता पर, मुझे खिलाता ।ऐसे भाई जैसे, कहां जग दाता! रात दिन एक कर, खूब कमाता ।निक्कर कुर्ता आप, […]
  1. Poem
Editor’s Choice एक और खूबसूरत शाम ढलने को हैसूरज छितिज़ से नीचे कब का जा चुका हैझिलमिल करते तारे आकाश में आच्छादित हैंपर हृदय में तुम्हारी वापसी की आशा संजोयेतुम्हारी मात्र एक झलक की चाहत लिए मन अशांत और व्याकुल है. शरद ऋतु के आगाज के साथ-साथ अब मौसम भी करवट बदलने लगा हैहवा में ठंडक […]
  1. Poem
He is feisty, humorousAnd quick-witted everSo I asked him one dayTo describe it brieflyThe contrast of the loveIn its success and failure! Piquant and chucklesomeHe responded as follows – After failure in a love affairThe lover inevitably turns toPerpetual Poetry and ShayariTo recite and ordain MehfilsRoam around place to placeMapping hills, deserts and oceansTasting exotic […]
  1. Poem
I see many peopleWaiting for the dayAnd opportune momentsFor being hassle freeWith riddance from worriesOnly to relax and enjoy life… Let’s not forget factThat the struggle in lifeIs eternal and never endsThere’s nothing like happy endingBecause one ending actuallyOpens vista for another beginning. So there is no pointIn wasting our timeIn an endless wait forEverything […]

Good Reads

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]
दरिया बीच एक दिन, सहसा उठा चक्रवात।जो थे मझधार मौजों पे, उन्हें न लगा आघात।।जो खड़े साहिल पे थे, डूबे मस्ती में दिन रात।पल में प्रलय होने लगा, डूबने लगे हाथो हाथ।। जो चल रहे थे वो बच गए, कुशल रास्ता खोकर।जो खड़े थे वो फना हो गए, खड़े ही खाकर ठोकर ।।जो मझधार में […]

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सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]

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Pilgrimage-I Nearly all communities and religions in the world attach significance to places which have some connection with any worldly or supernatural act(s) or event(s) of the divine (God) or His messenger(s); the birth, enlightenment or death of founder and saints; sites of the spiritual calling or awakening; supposedly a dwelling or living place of […]
सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

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