My Humming Word

Year: 2023

  1. Article
Santosha (Contentment) In this materialistic world, everyone talks about the happiness as the penultimate goal of life and people chase power, money, possessions, partner, love, travel, and what not, to achieve this goal. They perceive and seek happiness in incessantly indulging and experiencing in activities for pleasurable experiences through their sense organs. This quest of […]
  1. Article
Nationalism and Freedom of Expression are valued concepts in the democratic nations of the world but, at the same time, they are so often misinterpreted and abused in the context of the Indian polity and society. Ordinarily, the nationalism is taken as a politico-social and economic system promoting the interests of any sovereign country free […]
  1. Poem
सुनो हमारे प्यारे प्यारे दास जी,अब कुछ नहीं बाकी खास जी,लिखने को हमारे अब है पास जी,सब शब्द हो गए इकदम खलास जी. किसी से कुछ नहीं बची है आस जी,नीचे है धरती ऊपर आकाश जी,अब आप फेंको कुछ प्रकाश जी, आभार हैं हमको अहसास जी. शब्द बिना कैसे हो बकवास भी,जमाना ने खोए होश हवास […]
  1. Poem
True love is not constrainedor bound by the contemporaryethos and laws of the society –The manmade dos and don’ts. Without expecting reciprocity,it’s selfless and unconditionalboundless, eternal and purebeyond the space, age and time. It doesn’t bind but liberates –A reason why it’s rated greatestexcelling over all other emotionsand attributes, only next to God  14,896 total views, […]

Good Reads

Worlwide

Trending

Pilgrimage-I Nearly all communities and religions in the world attach significance to places which have some connection with any worldly or supernatural act(s) or event(s) of the divine (God) or His messenger(s); the birth, enlightenment or death of founder and saints; sites of the spiritual calling or awakening; supposedly a dwelling or living place of […]
सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]
समय चुप है अपनी निष्ठुरता लिए बदल रहा है निरंतर. तुम समय हो मेरे समय जिसने प्यार दिया अनंत डुबोकर किया एकाकार खुशियों से अमृत सुख की स्मृतियों से साँस साँस में चलती अनवरत सामीप्य की अव्यक्त अनुभूतियों से.     समय मेरा दूर असंबद्ध सा अबदर्शक सा बन बदल रहा है     सहारे तन के मन के     तुझसे जो बंधे थे अडिग अटूट  […]

Login

You cannot copy content of this page