My Humming Word

Month: November 2023

  1. Article
(Revised on 16 November 2023) Although the conviction and commensurate punishment by the court for any criminal offense and consequent disqualification from the public posts/designations of any politician under the laws of any country is not such a big deal that should invite international attention and outcry but it is happening now in case of […]
  1. Poem
संपादक की पसंद तितली रानी, तितली रानीकरती फिरती हो मनमानीफूल-फूल मंडराती फिरतीपीछे अपनी छोड़ निशानी। खुद के रंगों और चंचलता सेतुम सबका मन हर लेती होऔर अपने छोटे से जीवन सेजीने की कला सिखलाती हो। लेकिन आज उदास इस तरहवीराने में आकर क्यों बैठी होक्या तुम हो बीमार या फिररूठ किसी से, यूँ ही ऐंठी […]

Good Reads

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]
दरिया बीच एक दिन, सहसा उठा चक्रवात।जो थे मझधार मौजों पे, उन्हें न लगा आघात।।जो खड़े साहिल पे थे, डूबे मस्ती में दिन रात।पल में प्रलय होने लगा, डूबने लगे हाथो हाथ।। जो चल रहे थे वो बच गए, कुशल रास्ता खोकर।जो खड़े थे वो फना हो गए, खड़े ही खाकर ठोकर ।।जो मझधार में […]
Over a month-long turmoil in Bangladesh allegedly led by the students on the issue of reservation in jobs for certain categories reached to an anticlimax when Prime Minister Sheikh Hasina was made to resign and leave country on a short notice. While television visuals showed large crowds on the roads in Bangladesh capital Dhaka and […]

Worlwide

सपने आते हैं मुझे भयावह से डरावने देखता हूँ दृश्य-कल्पित खुली-खुली आँखों से सूखे-सूखे रूखे-रूखे विशाल जंगल मुरझाए वृक्षों पर अधचिपकी सी खुरदुरी छाल ठूंठ-मूक खड़े अकेले झुंड में बिन बहार स्थिर स्पंदनहीन विवश सहने नियति के प्रहार.  देखे हैं मैंने जहाँ होते थे कभी जीवन से भरे रंग-बिरंगे हरे-हरे झूमते-नाचते लहलहाते-खिलखिलाते गीत गाते खुशबू बिखराते झुंड वृक्षों के गूँथे हुए सामीप्य के चुंबन में बतियाते-टकराते आपस […]

Trending

Login

You cannot copy content of this page