My Humming Word

Year: 2021

  1. Article
It is not the first time that the Indian Prime Minister Narendra Modi has surprised Indian masses with his odd time address to the nation; one such paradigm address was the sudden announcement of demonetization on 8 November 2016 at 9.30 PM which had shocked the entire nation with mixed yet worrisome thoughts and emotions. […]
  1. Article
एक कहावत है – हाथी के दाॅंत ं ं ं खाने के और दिखाने के और। इसकी शुरूआत कब हुई कह नहीं सकता ं ं ं शायद इसका इतिहास भी मनु-शतरूपा के वंशजों जितना पुराना ही हो। ं ं ं किन्तु इसमें संदेह नहीं है कि इसकी ‘जेनिसिस’ उन महानुभावों को मद्देनजर रखकर ही हुई […]
  1. Article
शालिनी और रिचा हमेशा की तरह मुझे छोड़ने स्टेशन तक आये थे। जब भी मैं किसी लम्बे सरकारी दौरे पर बाहर जाता हूं वर्षों से यह दोनों बिना किसी अपवाद के मुझे ‘सी आफ’ करने आते रहे हैं। करीब आठ साल पहले डेपुटेशन पर दिल्ली आना हुआ था तब से यहीं का होकर रह गया। […]
  1. Article
Babylonia: The Jewel of Mesopotamia The ancient Mesopotamia was a region of the West Asia largely falling within the combined vast drainage areas of the Tigris–Euphrates River system. In terms of the geographical territories, it encompassed most of the present day Iraq, Kuwait, the eastern parts of Syria, South-eastern Turkey, as also the areas along […]
  1. Poem
Strange enoughThough he was keeping silence all the timeYet he spoke today perhaps unintentionallyWith melancholic tunes and gestures.He told me I am changingFrom inside and outsideAnd the changes are Sometimes hazy and rarely clear.He said he can’t describe The changes precisely I’m going throughStill he is sure of their unpredictability. I am gone different so much That he hesitates […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]

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