My Humming Word

Relationship

  1. Poem
वह रिश्ता त्याग देना बेहतर हैजहाँ प्यार का अहसास न होफिर यह चाहे आपकी बात होया जिससे आपको अपेक्षा हो वह रिश्ता त्याग देना बेहतर हैआपसी सुख-दुख की बात होअथवा अंतरंगता का सवाल होजहाँ इनकी अहमियत ही न हो. वह रिश्ता त्याग देना बेहतर हैजिसमें स्वार्थ का बोलबाला होव्यक्ति जो बस आत्मकेंद्रित होजहाँ केवल खुद […]
  1. Poem
सुख-चैन की परवाह किये बिनाएक लम्बा जीवन खपा दिया मैनेंकुछ रिश्तों को निबाहते रहने मेंबनाए रखकर, सजाने-संवारने में. कभी-कभी तो मुझे ऐसा भी लगा हैमानों एक लम्बी और काली सुरंग हैबिना रुके अनवरत दौड़ता रहा हूँ मैंजीवन की इस अंधी व निर्मम दौड़ में. किंतु आज जब मुड़कर देखता हूँतो मात्र एक अहसास भर होता […]
  1. Poem
I see relationshipsPeople are unhappySo desperate to breakBut for compulsionsDrag it endlessly. I see relationshipsPeople are unhappySo keen to uniteBut for compulsionsBlame it to destiny. I see relationshipsPeople are reconciledWith what was in storeAnd always wish wellNever blame it to destiny. Desire and expectationsFrom a relationshipAre the chief stimuli, andDetermine in the long runIf it […]
  1. Poem
People around himOften admire and valueHis attire and demeanourAnd ascribe his achievementsIn moral and material lifeTo his commitment and hard work. Climbing the ladder of successYet leading life of a lonerSkeptic and remorseful,He often wonders in solitudeWhether it’s really his genuineCommitment and hard work… Or if his first loveWhich remained last tooIs the one that […]

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सूख चुके हैं प्रेमपात्र सब, मदिरा की गागर दे दो भूल चुका हूँ कौन कौन है, विस्मृति का आश्रय दे दो. ईश्वर सबकुछ भूल गया है, कृष्ण नही अब रथ पर हैंसत्य-प्रेम की राहों पर हम, फिर भी काँटे पथ पर हैं. जीवन बंधा-बंधा सा क्यों है, हाहाकार मचा यह क्यों है मानव संबंधों के तलतम  में, यह भूकंपी […]
लाख समझाने पर भी नहीं समझता आईना मेरा अंदर की टूटती नसें भी उकेर दीं बनाकर उसने दरकती लकीरें वो जो बैठे हैं गहरे दिल में मेरे आईना मेरा उन्हें भी हूबहू दिखाता है. कैसे छिपाऊँ दर्दे-दिल को सामने जब बैरी-मितवा हो ऐसा चुप हूँ मैं, चुप हैं वो, मंजर है खामोशी का यह कैसा. दिल की जिद है रग-रग में […]

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